रामगढ़
मेरे लिए यादगार और एतिहासिक दिन आज से 25 साल पहले, यानि 19 अक्टूबर 1997 को रामगढ़ (तभी हजारीबाग) जिले के भुरकुंडा थाना मैदान में शौंडिक विकास संघ के तत्वाधान में झारखंड स्वशासी परिषद (जैक) के उपाध्यक्ष व पूर्व सांसद माननीय सूरज मंडल को सिक्को से तौला गया और चाँदी का मुकुट पहना कर महाअभिनंदन किया गया था। साथ ही साढ़े तीन फीट का मान-पत्र दिया गया था। इसी कार्यक्रम में सूरज मंडल को शौंडिक समाज द्वारा ‘शेरे झारखंड’ की उपाधि दी गई थी। तभी मैं शौंडिक विकास संघ का अध्यक्ष था। बलकुदरा ग्राम के राजाराम प्रसाद महासचिव थे। महाअभिनंदन समारोह मेरी ही अध्यक्षता में हुई थी। इस कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के बतौर धनबाद के झारखंड आंदोलनकारी शहीद मणींद्रनाथ मंडल की धर्मपत्नी एवं जैक में शिक्षा मंत्री रेखा मंडल आयी थीं। भीड़ के मामले में भी यह समारोह एतिहासिक था। करीब 25 हजार लोग शामिल हुए थे। हजारीबाग के डा.हीरालाल साहा भी आए थे। शौंडिक समाज के लोगों ने काफी साथ दिया था। आदित्य नारायण प्रसाद, स्व. राजेंद्र प्रसाद राजू, स्व. चन्द्रशेखर साहु, कैलाश प्रसाद, सरोज प्रसाद, उगेश्वर साहु, पत्रकार श्री धनेश्वर प्रसाद, गुलाब प्र. साहु, रघुवीर साहु, प्रेमकुमार साहु, महावीर साहु, नीलकंठ प्रसाद, बासुदेव साव, भवानी शंकर प्रसाद आदि सैंकड़ों लोग तैयारी में दिन-रात काम करके, पर्चा वितरण, पोस्टर साटना, दौरा करना जैसे कार्य किये थे। तब जाकर इस तिथि को एतिहासिक बनाया जा सका था। और इसी के साथ मेरा पहले शौंडिक, और फिर बडे परिवार यानि वैश्य समाज की ओर झुकाव हुआ। इसलिए आज का दिन मेरे लिए खास भी, यादगार भी और एतिहासिक भी है I